िल्प कला ~ रोज़ाना में काम आने वाली केवल एक वस्तु नही, बल्कि शिल्पकारो के खरे हाथो से जन्म लिया एक साधारण पदार्थ है, जो हमारी सभ्ययता के सभ्य हॊने का प्रतीक है । हमारा शिल्प, हमारे समाज के साथ, कई विचार, विश्वास और विज्ञान लिए विकसित हुआ है । इन विचारो और कहानियो को जाने बिना इन वस्तुओं को सराहना या महसूस करना मुस्किल है। ये कहानियाँ ना केवल शिल्प को सराहने मै सहयोग करती है, बल्कि हमारे सामने एक सादगीपूर्ण एवं आकर्षक जीवन का उदाहरण भी प्रस्तुत करती है ।
शिल्पकारी सदियों से हमारे समाज मे लोगो के व्यवसाय का म्हत्वपूर्ण अंग रहा है, परन्तु औधोगिकीकरण, मशीनों के सस्ते और जल्दी मिर्माण ने इस व्यवस्था पे महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है ।
गाथा योजना के तहत हम इन खूबसूरत वस्तुओ को एक वस्तु की तरह नहीं बल्कि, इनके महत्त्व और मीठी कहानियो के साथ पहचान दिलाना चाहते है। हम ना केवल इन वस्तुऒ का व्यापार, बल्कि इनके कलाकारों एवं पसंद करने वालो के बीच एक रिश्ता एवं बातचीत शरू करना चाहते है जिससे समाज मे सभी साथ मे कदम मिलाकर विकास कर सके ।
अन्तत:…हम अंधरे मै छिपे इन कलाकारों के चेहरो को एक पहचान देना चाहते है ।
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The ‘Gaatha’ project was conjured to play the key role of storytelling and therewith bringing social and commercial benefits to the artisan settlements. We desire to become the instrument through which the artisans can directly connect with the global audience, to be the resource which helps craft sell not as objects but stories and ideologies.
We are vying to make not just ’sales’ but ‘dialogues’ between the craftsmen and their patrons, encouraging ‘co-creation’possibilities and a collective growth. We are committed to keeping all the good practices intact and all processes humane, just and ecologically balanced.
Above all, we want to identify and recognize the faceless artisan.